Kabir Das ji ke Dohe, sab jag darpe kaal so
सब जग डरपै काल सों, ब्रह्मा विष्णु महेश |सुर नर मुनि औ लोक सब, सात…
Continue Reading
Kabir Das ji ke Dohe, sab jag darpe kaal so
सब जग डरपै काल सों, ब्रह्मा विष्णु महेश |सुर नर मुनि औ लोक सब, सात…
कबीर मन्दिर आपने, नित उठि करता आल |मरहट देखी डरपता, चौड़े दीया डाल || व्याख्या:…
जो उगै सो आथवै, फूले सो कुम्हिलाय |जो चुने सो ढ़हि पड़ै, जनमें सो मरि…
कबीर टुक टुक चोंगता, पल पल गयी बिहाय |जिन जंजाले पड़ि रहा, दियरा यमामा आय…
कहा चुनावै भेड़िया, चूना माटी लाय |मीच सुनेगी पापिनी, दौरी के लेगी आप || व्याख्या:…
कबीर थोड़ा जीवना, माढ़ै बहुत मढ़ान |सबही ऊभा पन्थसिर, राव रंक सुल्तान || व्याख्या: जीना…
भक्ति बीज पलटै नहीं, जो जुग जाय अनन्त |ऊँच नीच घर अवतरै, होय सन्त का…