आज काल के बीच में, जंगल होगा वास |
ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ||
भावार्थ:
आज – कल के बीच में यह शहर जंगल में जला या गाड़ दिया जायेगा | फिर इसके ऊपर ऊपर हल चलेंगे और पशु घास चरेंगे |
आज काल के बीच में, जंगल होगा वास |
ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ||
भावार्थ:
आज – कल के बीच में यह शहर जंगल में जला या गाड़ दिया जायेगा | फिर इसके ऊपर ऊपर हल चलेंगे और पशु घास चरेंगे |