भक्ति बीज पलटै नहीं, जो जुग जाय अनन्त |
ऊँच नीच घर अवतरै, होय सन्त का सन्त ||
व्याख्या:
की हुई भक्ति के बीज निष्फल नहीं होते चाहे अनंतो युग बीत जाये | भक्तिमान जीव सन्त का सन्त ही रहता है चाहे वह ऊँच – नीच माने गये किसी भी वर्ण – जाती में जन्म ले |
भक्ति बीज पलटै नहीं, जो जुग जाय अनन्त |
ऊँच नीच घर अवतरै, होय सन्त का सन्त ||
व्याख्या:
की हुई भक्ति के बीज निष्फल नहीं होते चाहे अनंतो युग बीत जाये | भक्तिमान जीव सन्त का सन्त ही रहता है चाहे वह ऊँच – नीच माने गये किसी भी वर्ण – जाती में जन्म ले |