हरिजन सोई जानिये, जिहा कहैं न मार |
आठ पहर चितवर रहै, गुरु का ज्ञान विचार ||
व्याख्या:
हरि – जन उसी को जानो जो अपनी जीभ से भी नहीं कहता कि “मारो” | बल्कि आठों पहर गुरु के ज्ञान – विचार ही में मन रखता है |
हरिजन सोई जानिये, जिहा कहैं न मार |
आठ पहर चितवर रहै, गुरु का ज्ञान विचार ||
व्याख्या:
हरि – जन उसी को जानो जो अपनी जीभ से भी नहीं कहता कि “मारो” | बल्कि आठों पहर गुरु के ज्ञान – विचार ही में मन रखता है |