कबीर थोड़ा जीवना, माढ़ै बहुत मढ़ान |
सबही ऊभा पन्थसिर, राव रंक सुल्तान ||
व्याख्या:
जीना तो थोड़ा है, और ठाट – बाट बहुत रचता है| राजा रंक महाराजा — आने जाने का मार्ग सबके सिर पर है, सब बारम्बार जन्म – मरण में नाच रहे हैं |
कबीर थोड़ा जीवना, माढ़ै बहुत मढ़ान |
सबही ऊभा पन्थसिर, राव रंक सुल्तान ||
व्याख्या:
जीना तो थोड़ा है, और ठाट – बाट बहुत रचता है| राजा रंक महाराजा — आने जाने का मार्ग सबके सिर पर है, सब बारम्बार जन्म – मरण में नाच रहे हैं |