खोद खाद धरती सहै, काट कूट बनराय |
कुटिल वचन साधु सहै, और से सहा न जाय ||
व्याख्या:
खोद – खाद प्रथ्वी सहती है, काट – कूट जंगल सहता है |
कठोर वचन सन्त सहते हैं, किसी और से सहा नहीं जा सकता |
खोद खाद धरती सहै, काट कूट बनराय |
कुटिल वचन साधु सहै, और से सहा न जाय ||
व्याख्या:
खोद – खाद प्रथ्वी सहती है, काट – कूट जंगल सहता है |
कठोर वचन सन्त सहते हैं, किसी और से सहा नहीं जा सकता |