मन को मारूँ पटकि के, टूक टूक है जाय |
विष कि क्यारी बोय के, लुनता क्यों पछिताय ||
भावार्थ:
व्याख्या:
जी चाहता है कि मन को पटक कर ऐसा मारूँ, कि वह चकनाचूर हों जाये| विष की क्यारी बोकर, अब उसे भोगने में क्यों पश्चाताप करता है?
मन को मारूँ पटकि के, टूक टूक है जाय |
विष कि क्यारी बोय के, लुनता क्यों पछिताय ||
भावार्थ:
व्याख्या:
जी चाहता है कि मन को पटक कर ऐसा मारूँ, कि वह चकनाचूर हों जाये| विष की क्यारी बोकर, अब उसे भोगने में क्यों पश्चाताप करता है?