मनवा तो फूला फिरै, कहै जो करूँ धरम |
कोटि करम सिर पै चढ़े, चेति न देखे मरम ||
भावार्थ:
मन फूला – फूला फिरता है कि में धर्म करता हुँ| करोडों कर्म – जाल इसके सिर पर चढ़े हैं, सावधान होकर अपनी करनी का रहस्य नहीं देखता|
मनवा तो फूला फिरै, कहै जो करूँ धरम |
कोटि करम सिर पै चढ़े, चेति न देखे मरम ||
भावार्थ:
मन फूला – फूला फिरता है कि में धर्म करता हुँ| करोडों कर्म – जाल इसके सिर पर चढ़े हैं, सावधान होकर अपनी करनी का रहस्य नहीं देखता|